मैंने तो सोचा था
मैंने तो सोचा था
की बहोत दूर चला जाऊंगा
उसे खुद से बेखबर देख कर
बेपरवाह अपनी ज़िन्दगी मे जीते देख कर
बड़ते दिन रात यु ही कटते देख कर
मैंने सोचा था की बहोत दूर चला जाऊंगा
मैने तो सोचा था
की वो कैसे भूल सकती है उन वादो को
वो कैसे भूल सकती है उन लम्हों को
जो हमने हाथो मैं हाथ देख कर
आँखों मैं प्यार देख कर
आने वालो दिनों के ख्वाब देख कर
जो पल साथ गुज़ारे थे…
वो सिर्फ ख्वाब नही हो सकते
वो सिर्फ ख्वाब नही हो सकते
वो सिर्फ कहि हुई बाते नही हो सकती
वो दिन रात गैर पलो के नही हो सकते
जब ये सब नही हो सकता तो वो कैसे
वो कैसे अपनी ज़िन्दगी मैं गुम हो कर
तनहा रह सकती
पर मैने तो सोचा था
मैने तो सोचा था की अब की बार
वो लौट के आएगी तो
आँखे फैर लूंगा मैं
अपने रस्ते अलग कर लूंगा मैं
अपने हाथो की लकीरो को
मुट्ठी मैं कैद कर लूंगा मैं
अबकी बार तो इरादा भोत पक्का है
हा, हा मई ऐसा ही करूंगा
उसे बताऊंगा की जो बहोत मोहब्बत करते है
वो बहोत दूर चले जाते हैं
की वापस नही आते
मैं उसे बताऊंगा
हा मैं उसे बताऊंगा
मगर क्या बताऊ
मगर क्या बताऊ
हर बार मेरी ही इस जंग मई हार हो जाती है
इक पल मई फैसला करता हु
और दूसरे पल मैं
उस फैसले से इंकार करता हु
किसी जंग है
केसा रंग है मोहबत का
जो एक बार चढ़ जाये तो उतरता ही नही
मैने तो सोचा था
मैने तो बहोत कुछ सोचा था
हा मैने तो सोचा था
इक दिन युही बिस्तर पे सफर तय कर रहा था
की अचानक.... अचानक
मेरे मोबाइल की घंटी बजी
एक आवाज़ आई
कैसे हैं आप
उसी पल वो सब बाते
वो सब जंग
जो मेरे अंदर थी
वो सब सागर की लेहरो मैं गुम हो गयी
मई भूल गया की मैने
तन्हाई मैं कितने वादे किये है
की अब की बार, अब की बार नही
की अब की बार नही मगर उसी पल मैं
सब वादो को, सब बातो को भूल कर फिर वैसा हो गया
और कहा
बिलकुल वैसा हु जैसा छोड़ा था
बिलकुल वैसा ही...
तनहा...
क्या मैंने सोचा था
क्या मैने कर दिया
और क्या मै हो गया ..
मैंने तो सोचा था
की बहोत दूर चला जाऊंगा
उसे खुद से बेखबर देख कर
बेपरवाह अपनी ज़िन्दगी मे जीते देख कर
बड़ते दिन रात यु ही कटते देख कर
मैंने सोचा था की बहोत दूर चला जाऊंगा
मैने तो सोचा था
की वो कैसे भूल सकती है उन वादो को
वो कैसे भूल सकती है उन लम्हों को
जो हमने हाथो मैं हाथ देख कर
आँखों मैं प्यार देख कर
आने वालो दिनों के ख्वाब देख कर
जो पल साथ गुज़ारे थे…
वो सिर्फ ख्वाब नही हो सकते
वो सिर्फ ख्वाब नही हो सकते
वो सिर्फ कहि हुई बाते नही हो सकती
वो दिन रात गैर पलो के नही हो सकते
जब ये सब नही हो सकता तो वो कैसे
वो कैसे अपनी ज़िन्दगी मैं गुम हो कर
तनहा रह सकती
पर मैने तो सोचा था
मैने तो सोचा था की अब की बार
वो लौट के आएगी तो
आँखे फैर लूंगा मैं
अपने रस्ते अलग कर लूंगा मैं
अपने हाथो की लकीरो को
मुट्ठी मैं कैद कर लूंगा मैं
अबकी बार तो इरादा भोत पक्का है
हा, हा मई ऐसा ही करूंगा
उसे बताऊंगा की जो बहोत मोहब्बत करते है
वो बहोत दूर चले जाते हैं
की वापस नही आते
मैं उसे बताऊंगा
हा मैं उसे बताऊंगा
मगर क्या बताऊ
मगर क्या बताऊ
हर बार मेरी ही इस जंग मई हार हो जाती है
इक पल मई फैसला करता हु
और दूसरे पल मैं
उस फैसले से इंकार करता हु
किसी जंग है
केसा रंग है मोहबत का
जो एक बार चढ़ जाये तो उतरता ही नही
मैने तो सोचा था
मैने तो बहोत कुछ सोचा था
हा मैने तो सोचा था
इक दिन युही बिस्तर पे सफर तय कर रहा था
की अचानक.... अचानक
मेरे मोबाइल की घंटी बजी
एक आवाज़ आई
कैसे हैं आप
उसी पल वो सब बाते
वो सब जंग
जो मेरे अंदर थी
वो सब सागर की लेहरो मैं गुम हो गयी
मई भूल गया की मैने
तन्हाई मैं कितने वादे किये है
की अब की बार, अब की बार नही
की अब की बार नही मगर उसी पल मैं
सब वादो को, सब बातो को भूल कर फिर वैसा हो गया
और कहा
बिलकुल वैसा हु जैसा छोड़ा था
बिलकुल वैसा ही...
तनहा...
क्या मैंने सोचा था
क्या मैने कर दिया
और क्या मै हो गया ..
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